Friday, 3 May 2013

Nanda - Devi

यूँ ही , कभी भी , कहीं भी...... यादें: Nanda - Devi: °•☸ ..हो गई है पीर पर्वत-सी पिघलनी चाहिए, ..................इस हिमालय से कोई गंगा निकलनी चाहिए।..°•☸

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